Thursday, May 7, 2009

~~एक कदम~~~


अब यह तनहँइंया काटती है मुझे
रात भर जागाती है मुझे
तुम आती तो हो मगर
साथ अपने खामोशी का दायरा लिए
तुम्हे खामोश देख
मैं भी बिन शब्दों के हो जाता हूँ
तुम्हारे साथ आये
उस खामोशी के दायरे मैं खो जाता हूँ
मुझे कहना तुमसे खुद को पाना होगा
कानो मे तेरे अपने प्यार का गीत सुना
तुझे हाले-दिल बताना होगा
दिल की धड़कन बन तुम्हारी
सांसो मैं उतर जाना होगा
आँखों मे मेरी लिखि भाषा
प्यार की पढ़
खामोशी को भगाना होगा
सपना नहीं हक्कीत हो तुम
पतझड़ नहीं बहार हो तुम
जीवन मे बस महकाना होगा
टूटे यह खामोशी का दायरा
एक कदम तुझे भी बढाना होगा
~~~~~पवन अरोडा~~~~~

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