jindadili jindgi ki aaj hai kal nahi hongi to yaadey kuch palo ko utaar dalta hun shbdo mai pata nahi kyun ....padhey v ray dai
Sunday, March 4, 2012
zindgi
खाव्बो की दुनिया
खाव्बो की जिंदगी
कभी बेढंगी सी
कभी लाजवाब जिंदगी
वक़्त के हर पहलु
छुपा कोई राज जिंदगी
मुसाफिर है हर यहाँ
बना एक सवाल जिंदगी
क्या है तेरा ख्याल जिन्दगी
सबको बनानी पढ़े
खुद अपनी राह जिन्दगी
मंजिल मिले ना मिले
यह सवाल जिंदगी
हर कदम पर इंतजार
जिंदगी...
कभी बचपन कभी जवानी
क्या यही बहार जिन्दगी
बुढ़ापे पर दोराहा क्यूँ
यह सवाल जिंदगी
जिसको पाला सींचा
उसके लिए मेरी बवाल जिन्दगी
होगी खत्म तेरी सांसे
माटी के पुतले
ना सपने किसी से और पाल जिन्दगी
खुद ही सवाल खुद ही प्रश्न
बस हंस के गुजार जिन्दगी
----पवन अरोड़ा-----
Thursday, March 1, 2012
मैं अब भी इंतजार मे था
ना जाने क्यूँ उसके ....
हर पल हर लम्हे उसके
वह जो मेरा ना था ....
फिर वह लम्हा भी आया
जहाँ प्यार ने मुझे अपनी बांहों
अपनी बांहों मे समेट लिया
उस की उंगलिया मेरे बालो
मेरे बालो से खेलने लगी थी
मैं आँखे बंद कर उसके सीने
उसके सीने से लगा रहा
और फिर उसकी गोद मे
गोद मैं खुद कों पाया
प्यार का यह लम्हा ऐसे था
मैं खुद से मिल गया
ऐसे जैसे रेगिस्तान मे
एकाकार बारिश हो गई
मैं तृप्ति पा गया ...
--पवन अरोड़ा---
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