Sunday, March 4, 2012

zindgi

खाव्बो की दुनिया खाव्बो की जिंदगी कभी बेढंगी सी कभी लाजवाब जिंदगी वक़्त के हर पहलु छुपा कोई राज जिंदगी मुसाफिर है हर यहाँ बना एक सवाल जिंदगी क्या है तेरा ख्याल जिन्दगी सबको बनानी पढ़े खुद अपनी राह जिन्दगी मंजिल मिले ना मिले यह सवाल जिंदगी हर कदम पर इंतजार जिंदगी... कभी बचपन कभी जवानी क्या यही बहार जिन्दगी बुढ़ापे पर दोराहा क्यूँ यह सवाल जिंदगी जिसको पाला सींचा उसके लिए मेरी बवाल जिन्दगी होगी खत्म तेरी सांसे माटी के पुतले ना सपने किसी से और पाल जिन्दगी खुद ही सवाल खुद ही प्रश्न बस हंस के गुजार जिन्दगी ----पवन अरोड़ा-----

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