jindadili jindgi ki aaj hai kal nahi hongi to yaadey kuch palo ko utaar dalta hun shbdo mai pata nahi kyun ....padhey v ray dai
Tuesday, January 27, 2009
~~~~~~एह्स्सास~~~~~~
~~~~~~एह्स्सास~~~~~~
कुछ तो कशिस है तुझे पाने की
यूँ ही चाह नहीं हुई मिट जाने की
सपनो मैं तेरा आना जाना हुआ
मैं''पवन'' खुद से बैगाना हुआ
खाय्लो मैं तुम्हे पाता हूँ
कल्पनाओ मैं उड़ा जाता हूँ
सितारों से होती है बाते
चाँद से भी होती है मुलाकाते .
पंछी बन गुनगुनाता हूँ
दूर गगन मैं उड़ा जाता हूँ
एह्स्सास तेरे नाम से पैदा होता है
तेरा घर का पता मेरा दिल कहलाता है
तेरी आगोश मे हो हर शाम हर रात
तुझे जीने को अब जी चाहता है
~~~~~~पवन अरोडा~~~~~~
Sunday, January 25, 2009
आज इन बादलो ने बीते पलो मे उलझा दिया
जो भुला नहीं फिर उन्हे
याद दिला दिया
टप-टप के मोतियो ने
वही संगीत सुना दिया
बादलो के आने जाने से
मुझको ''पवन'' उलझा दिया
वह मधुर सी आवाज
जो कानो मे गूंजती आज
और बादल का ऐसा शर्माना
या कहू दिखाना और छुप जाना
उसको भी तुम्हारी तरह छुपना
फिर निकलना आ गया है
रह रह कर मे बादलो को देखता हूँ
शायद तुम यही कही हो
हसंता हूँ रोता हूँ
उन पलो को याद कर
फिर समेटता हूँ
चल पड़ता हूँ ...
उन राहों पर
जब हम चले थे कभी साथ साथ
~~~````पवन अरोडा````~~~
Thursday, January 22, 2009
अजीब घुटन अजीब चुभन
अजीब सी बैचेनी सी क्यूँ है
कुदरत के बन्दे ....
चेहरे पर यह उदासी क्यूँ है
मष्तिक मे हलचल आँखों मैं अँधेरा
सोच मैं गुमनामी सी क्यूँ है
क्या वक़्त की रफ़्तार ..
पंछी उड़ता पर कटे पंख क्यूँ है
तलाशती निगाहें जीने की राह
पर निगाहों मे पानी सा क्यूँ है
मन मे उठते तुफ्फान कदमो के निशान
पर मंजिल ओझल सी क्यूँ है
बोलने की चाह शब्दों का भंडार
पर शब्दों मे कपकपी सी क्यूँ है
~~~पवन अरोडा~~~~
Thursday, January 15, 2009
~~~प्यार स्वार्थ साथ~~~
इंसान क्यूँ झूट बोलता है
मे तुमसे प्यार करता हूँ
पर पर मे
हाँ मे खुद को प्यार करता हूँ
मैने अपने मन के द्वार खोले
उमंगो कि तरंगो को पढ़ा
अपना अस्तित्व ढूँढना चाहा
वह अपना ही सवार्थ निकला
तुम्हे चाहा अपने लिए सवार्थ
था आज मालुम पढ़ा .....
प्यार स्वार्थ साथ जीने के लिए
स्वार्थ साथ अपनी समाज मे
इज्ज़त के लिए
सच मे तुम्हे नहीं खुद को
प्यार करता हूँ
पर साथ रहने के लिए
बोलता हूँ कि मे तुम्हे प्यार
करता हूँ
सब एक दुसरे के साथ जीने
मरने कि कसमे खाते है
बहुत कम है जो कसमे निभाते है
पर जोर जोर से चिलाते है मे तुमसे
प्यार करता हूँ
पर मे नहीं बोलूँगा
अपनी शान अपनी पहचान
अपनी मन कि शान्ति
के लिए लड़ता हूँ .....
नहीं नहीं मे तुमसे नहीं मे खुद
को प्यार करता हूँ
~~~पवन अरोडा~~`
जीना क्या ...
सोच कभी ...
सोचा तो ...
समझा कभी ..
समझा तो ...
पढ़ा कभी ...
पढ़ा तो ...
जिया कभी ....
क्या रूप है ...
क्या अस्तित्व है ....
क्या ढंग है .....
किस रूप मे जी रहो हो .....
कैसे जी रहो हो ..
क्यूँ ढूंड रहे हो अपने आपको .......
क्या जज्बात है ...
क्या ख्य्लात है ......
कितनी जिन्दगी के और बरस आप के पास है .....
जीना है तो जी बिंदास ...
कुछ अलग तो कुछ खास .....
कुछ भी ना हो समझ ....
सब कुछ है पास .....
आज नहीं जियेगा .......
तो कल का क्या पता .....
वही चार कन्दे.....
कुछ बंदे........
राम नाम बोलेंगे ....
उठा के कुछ पल के लिए रो लेंगे ....
डाल के लकडी ....
फूँक देंगे ....
घर आयेंगे ...
कुछ खायेंगे ...
कुछ चले जायेंगे ....
फिर कुछ दिनों बाद तेरी हडियों को उठा फूल बोल सब को दिखायगे ...
और फिर गंगा मे परवाह वक़्त ....
घर के अंदर नहीं बहारसे ही ले जायंगे .....
कुछ दिनों ही तेरे नाम कि एक शोक शभा बिठा य्न्गे ....
कुछ आयंगे ...
कुछ खायंगे ...
फिर चले जायेंगे ...
फिर तू ही बता ...
तुझे क्या पता ....
कौन आया ..
कौन गया ....
तो जी ......मस्त
~~~~~पवन अरोडा~~~~~~~
Thursday, January 8, 2009
Wednesday, January 7, 2009
-----------#~~~~देवता ~इश्वर ~देव~~~~#------------
जब इंसान समय से और इश्वर से ...दिल से आत्मा से ...रिश्तो से खुद से वक़्त के हातो लड़ता है और उसे कुछ नहीं प्राप्त या जो वह चाहता है प्राप्त नहीं होता तो वह किसी को ना दोष दे या अपने नसीबो को या जिस से हम सब मांगते है उस को छोड़ भागने लगाता है ...शब्दों को दिल को लिख डाला कि क्या स्थिति है .....
-----------#~~~~देवता ~इश्वर ~देव~~~~#------------
मैने चिरकाल तक आपकी पूजा की है
किन्तु मे तुम्हारे आगे वरदान का प्राथी नहीं हूँ
मैने घोर कलेश और यातना सहकर पूजा की और
अब मुझमे दर्शन करने का भी उतसाह नहीं
पूजा करते करते मेरा शरीर जर्जर हो गया
अब मुझमे तुम्हारे वरदान का भर सहने की शमता नहीं
मैने आप को अपनी आराधना से प्रसन भर किया
अब अत्यंत जर्जर हो गया और कुछ चाहता नहीं
किन्तु पुरवाभ्स के कारण अब भी आराधना किये जा रहा हूँ
~~~~~~````पवन अरोडा````~~~~~~
***फिर क्यूँ***
इंतज़ार ......
तेरा क्यूँ दोस्त ऐसा क्यूँ
तेरा इंतजार सुबह शाम
पल पल तेरी ही सोच क्यूँ
ख़ुशी से पुछ किसने दिया पता मेरा तुझे
उमंगो से पुछ किसने जगाया तुझे
पंछी बन क्यूँ उड़ने की चाहत तुझे
आना है एक दिन फिर तुझे
आसमान से वापिस जमी पर
फिर यह उडान क्यूँ
सोच टहरता रुकता खुद पर
आगे बढती चाहत उमंगें ....
यह क्यूँ
मैं खुद से खुद को हारा तुझे जीत
यह कैसी दिल की दिल से प्रीत
यह कैसा मन गाये गीत
ना मे तेरा ना तू मेरी ....
फिर क्यूँ लगे जीत ...
~~~~पवन अरोडा~~~~
Tuesday, January 6, 2009
उड़ मेरे संग कल्पनाओं के दायरे मे
उड़ मेरे संग कल्पनाओं के दायरे मे
ख्यालो को और रंग जाने दे
जुल्फों के साए मे मुझे सो जाने दे
आँखों के समुन्दर मे मुझे डूब जाने दे
लबो को मुझ से टकराने दे
जो चिंगारी लगी उसे भुझ जाने दे
उठे तूफ़ान को शांत हो जाने दे
जितना करीब चाहती है मुझे पास आने दे
तू मेरा आईना मुझे अक्श बन जाने दे
दिलो की गहरइयो मे मुझे उतर जाने दे
बान्द बाह्नो मे मुझे दूर ना जाने दे
उड़ मेरे संग कल्पनाओं के दायरे मे
सपनो को सपनो मे रहने दे
उड़ने दे आसमान मे
मुझे ''पवन'' जमी पे ना आने दे
उड़ मेरे संग कल्पनाओ के दायरे मे
यह दिल की लगी इसे दिल मे ही रहने दे
इसे चिंगारी को बहार ना आने दे
रिश्तो की डोरों को ऊँगली ना उठाने दे
शोला जो बने उस चिंगारी को दिल मे ही रह जाने दे
~~~~~~~~पवन अरोडा~~~~~~~~~
लम्हा लम्हा
लम्हा लम्हा
पकडो पढो समझो जिन्दगी
आगे और ना निकल जाए जिन्दगी
खोज सोच क्या है जिन्दगी
अब निकली फिर क्या आएगी जिन्दगी
मानव जन्म नहीं मिलता हर बार
जो मिली एक बार उसे सम्भाल जिन्दगी
कभी मिले देखे किनारे नदी के आपस मे
यह समझ क्या है जिन्दगी .......
खुशियों की बरात हो ना हो
फिर भी बहुत सोगात है जिन्दगी ..
बनाया जिसने उसने भी खुछ सोच दिया होगा
मानव का रूप जिन्दगी हाथ उठा करता है
जिसकी तू बंदगी मत भूल
यह उसी की ही है सोगात जिन्दगी
कर ऐसा कर्म जिसपे मुस्कराए जिन्दगी
लम्हा लम्हा प्यार का बन जाए जिन्दगी
~~~पवन अरोडा~~~~~
~~~~waqt ka pal pal ~~~~
रस यौअन
क्यूँ आग लगाती हो
क्यूँ छूप जाती हो
ऐसे आग ना लगाया करो
अगर लगानी है भुझाया भी करो
हमे यूँ शर्मा कर ना दिखाया करो
यह लगी तंग करती है
ऐसे हमारी गली ना आया करो
यूँ तो हमे भी बहुत शर्म आती है
क्या करे तुम्हारी लगी मे वो भी जल जाती है
फिर छुप छुप क्यूँ आहें भर्ती हो
हमे मत सिखा जीना किसे कहते
हम भी जानते है पीना किसे कहते है
रस यौअन का अगर तुफ्फान बन जाए
हमे आती है वो कला की तुफ्फान भी थम जाए
यह दिल की लगी है अगर तो यह मान दिल ही इसे भुजाये
~~~~पवन अरोडा~~~~~~
प्रेम सत्य
जिस परकार औरत को रात्री के पहर शैया पर उसे उसकी देह के साथ संभोग कर उसे औरत होने का अहसास दिलाता है ..टिक उसी भांति ..इंसान प्रेम कर अपनी पहचान व् अहसास का अपना पन पता है अपने आप को इस करोडो लोगो मे से अलग पाता है
आप अपनी पहचान खुद खोजो नहीं तो भटक जाओगे
प्रेम सत्य ही अपनी पहचान है
अंत प्रेम ही अपनी पहचान है
==प्रेम ही इश्वर
प्रेम ही खुदा
प्रेम ही इबादत
प्रेम ही पूजा
प्रेम ही जिन्दगी
प्रेम ही विस्वाश
प्रेम ही हिम्मत
प्रेम ही जिन्दगी का सार
प्रेम ही मानवता
प्रेम ही राह
प्रेम ही मंजिल
==दिल भरकर प्रेम करना
==दिल भरकर जीना है
====और=====
हमेशा प्रेम करना
अपने आप को पाना है
+++ना उमर कि सीमा हो ना जन्म का हो बंधन +++
++++जब प्यार करो किसे तो देखो केवल मन +++++
~~~~~~~~~~~पवन अरोडा~~~~~~~~~~~~~~~~
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