Sunday, March 4, 2012

zindgi

खाव्बो की दुनिया खाव्बो की जिंदगी कभी बेढंगी सी कभी लाजवाब जिंदगी वक़्त के हर पहलु छुपा कोई राज जिंदगी मुसाफिर है हर यहाँ बना एक सवाल जिंदगी क्या है तेरा ख्याल जिन्दगी सबको बनानी पढ़े खुद अपनी राह जिन्दगी मंजिल मिले ना मिले यह सवाल जिंदगी हर कदम पर इंतजार जिंदगी... कभी बचपन कभी जवानी क्या यही बहार जिन्दगी बुढ़ापे पर दोराहा क्यूँ यह सवाल जिंदगी जिसको पाला सींचा उसके लिए मेरी बवाल जिन्दगी होगी खत्म तेरी सांसे माटी के पुतले ना सपने किसी से और पाल जिन्दगी खुद ही सवाल खुद ही प्रश्न बस हंस के गुजार जिन्दगी ----पवन अरोड़ा-----

Thursday, March 1, 2012

मैं अब भी इंतजार मे था ना जाने क्यूँ उसके .... हर पल हर लम्हे उसके वह जो मेरा ना था .... फिर वह लम्हा भी आया जहाँ प्यार ने मुझे अपनी बांहों अपनी बांहों मे समेट लिया उस की उंगलिया मेरे बालो मेरे बालो से खेलने लगी थी मैं आँखे बंद कर उसके सीने उसके सीने से लगा रहा और फिर उसकी गोद मे गोद मैं खुद कों पाया प्यार का यह लम्हा ऐसे था मैं खुद से मिल गया ऐसे जैसे रेगिस्तान मे एकाकार बारिश हो गई मैं तृप्ति पा गया ... --पवन अरोड़ा---

Wednesday, October 27, 2010

तू ही तू

हर मूरत
हर सूरत
तू ही तू
हर घडी
हर पल
तू ही तू
हर ख्याल
हर जज्बात
तू ही तू
हर दिन
हर शाम
तू ही तू
हर सांस
हर धड़कन
तू ही तू
हर शब्द
हर लफ्ज
तू ही तू
हर अहसास
हर ख़ुशी
तू ही तू
हर राह
हर मंजिल
तू ही तू
हर ख़ामोशी
हर ठहराव
तू ही तू
मैं जिस्म
तू रूह
तू ही तू
-पवन अरोड़ा-

क्या तेरे पास एक पल का साथ नहीं

तुझसे दूर नहीं पर तेरे पास नहीं
जो मुझे क्या वह तुझे अहसास नहीं
खुद से क्यूँ हारने लगा हूँ मै
क्या तुझे खो जाने का अभास तो नहीं
जीना है मुझे संग तेरे
क्या तेरे पास एक पल का साथ नहीं
खींचती है मुझे तेरी चाहत की खुशबू
क्या तुम मेरे जज्बात ख्य्लात तो नहीं
________पवन अरोड़ा_________

Tuesday, September 28, 2010

धर्मो के यह रहनुमा

बाँट दिया इंसान को
बाँट दिया ईमान को
धर्म के टेकेदारो ने
बाँट दिया भगवान को
इन्ही से है इनकी रोटिया सिकती
जब भी देखा कुर्सी खिसकती
तभी नारा लगा डालते
धर्म की आग जला डालते
पिस्ता आम इंसान यहाँ
इनका तब ईमान कहाँ
जलता गरीबो का घर
किनको किसी ना डर
आप बेटे टीवी पर
मजे लेते हम देख लड़
खुश होते पीट-पीट ताली
यह वार जो न जाता कभी खाली
धर्मो के यह रहनुमा खुद को बतलाते
कभी देखा किसी मस्जिद पर
या मंदिर रोज जाते
खूब उड़ाते मोज बहार
लगाता अपने घर के बाहर
खाकी के यह चोंकिदार
मिलने जब भी हम जाते
यह नहीं आता कभी बाहर
शक्ल दिखती पांच साल मे एक बार
अब तुम भी बनो थोडा समझदार
छोड़ो आपसी यह रंजिश
थोडा धर्मो से आओ बाहर
गले मिलो सब एक हो
चाहे हो ईद या दीपावली का त्योहार
दो दिन की जिन्दगी
आओ हम हँस मिल साथ बिताये यार
~~~~पवन अरोड़ा~

Thursday, September 23, 2010

किसने देखा अल्लाह किसने देखा राम

मानो ना मानो मेरे भाई
लहू का रंग एक जैसा
सबका मालिक एक
किसने देखा अल्लाह
किसने देखा राम
मत बांटो धर्मो को
मत बांटो ईमान
जिन्दगी दी जिसने
क्या वो कहता
ऐसे करो काम
बंदगी उसी की अमन
मत दो दंगो का नाम
......
मेरे अल्लाह अल्लाह अल्लाह
मेरे राम राम राम
ऐसे मत बोलो
जागो जागो जागो
अँधेरे से निकलो
जब जागो सवेरा
फैलाओ यह पैगाम
तेरा अल्लाह मेरा अल्लाह
मेरे राम तेरे राम
सबका मालिक एक
जीवन दिया इसी का
इसी का यह पैगाम
चैन से रहो
चैन से रहने दो
यह कहते अल्लाह
यह कहते राम
~~~पवन अरोड़ा~~~23-9-2010

Wednesday, September 22, 2010

तो डस जाएगा

]सोने की चिड़िया
संस्कृति संस्कार की पीढ़ी
मेहमानों का सत्कार
क्या नहीं है मेरे देश मे यार
माटी की खुशबु
बड़ो का आशीर्वाद
भषाओ की माला
जहाँ हर माँ ने जिगर का टुकड़ा
दिल से लगा पाला
उस देश को खा गया
यह नेता साला
भर अपनी जेब मुह कर काला
फिर भी दीखाता अपना मन उजहला
खेलो मे भी खेल रच डाला
भरा अपना पैसो का थ्येला
विपदा को भी इन्होने खूब सम्भाला
पैसा भर तिजोरी को लगा ताला
खेल रहे बाडरो का खेल
सिवस बैंक का पता नहीं क्या है मेल
इश्वरभी इनके आगे फ़ैल
खूब मौज जब जाते यह जेल
कब तक आखिर कब तक
नहीं उठाते हम क्यूँ आवाज
हमारी ही जमी पर यह क्यूँ
फन फैलाये बेठायह नेता रूपी नाग
अरे मेरे भाई अब तो जाग नहीं
तो डस जाएगा
एक दिन यह नेता रूपी नाग
~~~पवन अरोड़ा~~~

Sunday, May 10, 2009

~~~~बादल~~~~~


तुम

मैं तलाशता हूँ तुम्हे मंजिल की तरह
छुप जाती हो देखते ही बादलो की तरह
क्या मैं तुम्हे पकड नहीं पाऊंगा
दिल की बात किसे बताऊंगा
जमाने वाले हसेंगे
मुझ पर कोई बात नहीं
क्या हुआ मैं दीवाना कहलाऊंगा
मेरे दीवाने पन का इम्तहान ना ले
तुझे क्या पता मैं कई रातो से नहीं सोया
तेरा चेहरा जो आँखों मैं बसा था
तुम्ही हो वो कल्पना
जिसे मन मे था संजो रखा
मेरे ह्रदय की तारो को झंकृत करने वाली मधुर संगीत हो तुम
मेरे खोये हुवे शब्दों की मोतियों की माला हो तुम
मैं तुम्हे इस जीवन रूपी माला मे पिरोना चाहता हूँ
मैं जमी से आसमान को छुना चाहता हूँ
मैं भी 'पवन' तेरे संग बादलो मैं खोना चाहता हूँ

~~~~~~पवन अरोडा~~~~~~~~~

~~~~तुम~~~~~


तुम मुझे क्यूँ
अपने होने का एह्स्सास दिलाती हो
क्यूँ तुम चोरी चोरी
मेरे सपनो मे आती हो
तुम एह्स्सास हो मेरा
मेरे आस पास हो तुम
तुम्हे पाना मेरा सपना नहीं जिन्दगी है
तुम मेरी कल्पना नहीं हक्कीत हो
तुम तुम नहीं मेरी साँसे हो
इन आँखों की रौशनी हो तुम
मेरे दिल की धड़कन
फिजाओं मैं फैली खुशबू हो तुम
तेरी एक एक अदा मुझे अच्छी लगती है
जब जुल्फों को तुम इतरा के पीछे करती हो
ऐसा लगता है चाँद जो छुपा था
बादलो मैं निकल आया
मुस्कराने से तेरे
सूरज की तरह चमक उठता है मेरा जहां
तुम्हे पाना रब को पाना है
तुम्हे साथ ले इस जहाँ से दूर चले जाना है
जहाँ तुम और मैं
एक नया आशियाना बनायेंगे
अपनी प्यार भरी छोटी सी दुनिया बसायेंगे
~~~~~~पवन अरोडा~~~~~~~~

~~~~आस्था~~~~~


~~~आस्था~~~~
किसने देखा
तुमने देखा
कहाँ है भगवान
बताओ मुझे
मिलाओ मुझे
विस्वाश की डोर
आस्था का प्रतीक
भगवान कभी मिला
सपने मैं कल्पनाओं मैं
छोड़ कभी हक्कीत मे
मैंने भी खूब तलाशा
पथतरो मे पाने की
कोशिश की
जगाने की कोशिश की
चिल्लाया पर वह न मिला
न जगा न बोला
आस्था सदियों से चलती आ रही है
मैं भी उसी आस्था से जुडा
उसे खोजता कभी नहीं
मेरे सुख दुःख मे खडा पाया
विस्वास सभी उसी की मर्जी
जो होगा अच्छा होगा
सत्य इसे से दूर
आस्था या डर रोकता
विद्रोह की भावना
क्यूँ किस का डर
जब न देखा न मिला
फिर क्यूँ आस्था
क्यूँ पूजा
सदियों की परम्परा
कब तक निभाऊंगा
क्या अंतिम साँसों तक
खोज नहीं पाऊंगा
राम राम करता
यूँ ही चला जाऊँगा
~~~पवन अरोडा~~~
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

~~~~माँ~~~~


माँ

माँ माँ शब्दों की मोहताज़ नहीं
एक एह्स्सास है
माँ ठंडी छाँव मे सुलाती
आँचल दे आप धुप मे बेठी
मुझे धुप ना लगने देती
जन्म से पहले कोख मे रख
ठंडक देती माँ
क्या माँ मे तेरा ऋण उतार पाऊंगा
माँ तुने कोख मैं रखा
क्या मे तुझे साथ भी रख पाऊंगा
माँ माँ तू जननी मेरी
पहचान मेरी
क्या तेरी पहचान बन पाऊंगा
माँ तुमने सीचते सीचते पाला माली की तरह
क्या मैं तुम्हे ठंडी छाँव पहुचाहूँगा
कदम कदम बढ़ता देख
बचपन से जवानी मे पाले कई सपने तुने
क्या मे पूरा कर पाऊंगा
तेरा प्रेम निस्वार्थ
क्या मे स्वार्थ मे भी प्रेम कर पाऊंगा
माँ नहीं मैं तेरा ऋण ना चुका पाऊंगा
इस जन्म मे क्या मैं भी 'पवन' श्रवन बन पाऊंगा


पवन अरोडा