Wednesday, October 27, 2010

तू ही तू

हर मूरत
हर सूरत
तू ही तू
हर घडी
हर पल
तू ही तू
हर ख्याल
हर जज्बात
तू ही तू
हर दिन
हर शाम
तू ही तू
हर सांस
हर धड़कन
तू ही तू
हर शब्द
हर लफ्ज
तू ही तू
हर अहसास
हर ख़ुशी
तू ही तू
हर राह
हर मंजिल
तू ही तू
हर ख़ामोशी
हर ठहराव
तू ही तू
मैं जिस्म
तू रूह
तू ही तू
-पवन अरोड़ा-

क्या तेरे पास एक पल का साथ नहीं

तुझसे दूर नहीं पर तेरे पास नहीं
जो मुझे क्या वह तुझे अहसास नहीं
खुद से क्यूँ हारने लगा हूँ मै
क्या तुझे खो जाने का अभास तो नहीं
जीना है मुझे संग तेरे
क्या तेरे पास एक पल का साथ नहीं
खींचती है मुझे तेरी चाहत की खुशबू
क्या तुम मेरे जज्बात ख्य्लात तो नहीं
________पवन अरोड़ा_________

Tuesday, September 28, 2010

धर्मो के यह रहनुमा

बाँट दिया इंसान को
बाँट दिया ईमान को
धर्म के टेकेदारो ने
बाँट दिया भगवान को
इन्ही से है इनकी रोटिया सिकती
जब भी देखा कुर्सी खिसकती
तभी नारा लगा डालते
धर्म की आग जला डालते
पिस्ता आम इंसान यहाँ
इनका तब ईमान कहाँ
जलता गरीबो का घर
किनको किसी ना डर
आप बेटे टीवी पर
मजे लेते हम देख लड़
खुश होते पीट-पीट ताली
यह वार जो न जाता कभी खाली
धर्मो के यह रहनुमा खुद को बतलाते
कभी देखा किसी मस्जिद पर
या मंदिर रोज जाते
खूब उड़ाते मोज बहार
लगाता अपने घर के बाहर
खाकी के यह चोंकिदार
मिलने जब भी हम जाते
यह नहीं आता कभी बाहर
शक्ल दिखती पांच साल मे एक बार
अब तुम भी बनो थोडा समझदार
छोड़ो आपसी यह रंजिश
थोडा धर्मो से आओ बाहर
गले मिलो सब एक हो
चाहे हो ईद या दीपावली का त्योहार
दो दिन की जिन्दगी
आओ हम हँस मिल साथ बिताये यार
~~~~पवन अरोड़ा~

Thursday, September 23, 2010

किसने देखा अल्लाह किसने देखा राम

मानो ना मानो मेरे भाई
लहू का रंग एक जैसा
सबका मालिक एक
किसने देखा अल्लाह
किसने देखा राम
मत बांटो धर्मो को
मत बांटो ईमान
जिन्दगी दी जिसने
क्या वो कहता
ऐसे करो काम
बंदगी उसी की अमन
मत दो दंगो का नाम
......
मेरे अल्लाह अल्लाह अल्लाह
मेरे राम राम राम
ऐसे मत बोलो
जागो जागो जागो
अँधेरे से निकलो
जब जागो सवेरा
फैलाओ यह पैगाम
तेरा अल्लाह मेरा अल्लाह
मेरे राम तेरे राम
सबका मालिक एक
जीवन दिया इसी का
इसी का यह पैगाम
चैन से रहो
चैन से रहने दो
यह कहते अल्लाह
यह कहते राम
~~~पवन अरोड़ा~~~23-9-2010

Wednesday, September 22, 2010

तो डस जाएगा

]सोने की चिड़िया
संस्कृति संस्कार की पीढ़ी
मेहमानों का सत्कार
क्या नहीं है मेरे देश मे यार
माटी की खुशबु
बड़ो का आशीर्वाद
भषाओ की माला
जहाँ हर माँ ने जिगर का टुकड़ा
दिल से लगा पाला
उस देश को खा गया
यह नेता साला
भर अपनी जेब मुह कर काला
फिर भी दीखाता अपना मन उजहला
खेलो मे भी खेल रच डाला
भरा अपना पैसो का थ्येला
विपदा को भी इन्होने खूब सम्भाला
पैसा भर तिजोरी को लगा ताला
खेल रहे बाडरो का खेल
सिवस बैंक का पता नहीं क्या है मेल
इश्वरभी इनके आगे फ़ैल
खूब मौज जब जाते यह जेल
कब तक आखिर कब तक
नहीं उठाते हम क्यूँ आवाज
हमारी ही जमी पर यह क्यूँ
फन फैलाये बेठायह नेता रूपी नाग
अरे मेरे भाई अब तो जाग नहीं
तो डस जाएगा
एक दिन यह नेता रूपी नाग
~~~पवन अरोड़ा~~~