
~~~~~~एह्स्सास~~~~~~
कुछ तो कशिस है तुझे पाने की
यूँ ही चाह नहीं हुई मिट जाने की
सपनो मैं तेरा आना जाना हुआ
मैं''पवन'' खुद से बैगाना हुआ
खाय्लो मैं तुम्हे पाता हूँ
कल्पनाओ मैं उड़ा जाता हूँ
सितारों से होती है बाते
चाँद से भी होती है मुलाकाते .
पंछी बन गुनगुनाता हूँ
दूर गगन मैं उड़ा जाता हूँ
एह्स्सास तेरे नाम से पैदा होता है
तेरा घर का पता मेरा दिल कहलाता है
तेरी आगोश मे हो हर शाम हर रात
तुझे जीने को अब जी चाहता है
~~~~~~पवन अरोडा~~~~~~
2 comments:
कुछ तो कशिस है तुझे पाने की
यूँ ही चाह नहीं हुई मिट जाने की
सपनो मैं तेरा आना जाना हुआ
मैं''पवन'' खुद से बैगाना हुआ
Pawan ji bhot sunder likha hai aapne....Bdhai...! ye word verification hta len...
पवन जी आपके शब्दों में
जादू है ........दिल से लिखते है आप
एहसास ...ही तो जीवन है
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