
क्यूँ आग लगाती हो
क्यूँ छूप जाती हो
ऐसे आग ना लगाया करो
अगर लगानी है भुझाया भी करो
हमे यूँ शर्मा कर ना दिखाया करो
यह लगी तंग करती है
ऐसे हमारी गली ना आया करो
यूँ तो हमे भी बहुत शर्म आती है
क्या करे तुम्हारी लगी मे वो भी जल जाती है
फिर छुप छुप क्यूँ आहें भर्ती हो
हमे मत सिखा जीना किसे कहते
हम भी जानते है पीना किसे कहते है
रस यौअन का अगर तुफ्फान बन जाए
हमे आती है वो कला की तुफ्फान भी थम जाए
यह दिल की लगी है अगर तो यह मान दिल ही इसे भुजाये
~~~~पवन अरोडा~~~~~~
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