Sunday, May 10, 2009

~~~~आस्था~~~~~


~~~आस्था~~~~
किसने देखा
तुमने देखा
कहाँ है भगवान
बताओ मुझे
मिलाओ मुझे
विस्वाश की डोर
आस्था का प्रतीक
भगवान कभी मिला
सपने मैं कल्पनाओं मैं
छोड़ कभी हक्कीत मे
मैंने भी खूब तलाशा
पथतरो मे पाने की
कोशिश की
जगाने की कोशिश की
चिल्लाया पर वह न मिला
न जगा न बोला
आस्था सदियों से चलती आ रही है
मैं भी उसी आस्था से जुडा
उसे खोजता कभी नहीं
मेरे सुख दुःख मे खडा पाया
विस्वास सभी उसी की मर्जी
जो होगा अच्छा होगा
सत्य इसे से दूर
आस्था या डर रोकता
विद्रोह की भावना
क्यूँ किस का डर
जब न देखा न मिला
फिर क्यूँ आस्था
क्यूँ पूजा
सदियों की परम्परा
कब तक निभाऊंगा
क्या अंतिम साँसों तक
खोज नहीं पाऊंगा
राम राम करता
यूँ ही चला जाऊँगा
~~~पवन अरोडा~~~
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