jindadili jindgi ki aaj hai kal nahi hongi to yaadey kuch palo ko utaar dalta hun shbdo mai pata nahi kyun ....padhey v ray dai
Sunday, May 10, 2009
~~~~तुम~~~~~
तुम मुझे क्यूँ
अपने होने का एह्स्सास दिलाती हो
क्यूँ तुम चोरी चोरी
मेरे सपनो मे आती हो
तुम एह्स्सास हो मेरा
मेरे आस पास हो तुम
तुम्हे पाना मेरा सपना नहीं जिन्दगी है
तुम मेरी कल्पना नहीं हक्कीत हो
तुम तुम नहीं मेरी साँसे हो
इन आँखों की रौशनी हो तुम
मेरे दिल की धड़कन
फिजाओं मैं फैली खुशबू हो तुम
तेरी एक एक अदा मुझे अच्छी लगती है
जब जुल्फों को तुम इतरा के पीछे करती हो
ऐसा लगता है चाँद जो छुपा था
बादलो मैं निकल आया
मुस्कराने से तेरे
सूरज की तरह चमक उठता है मेरा जहां
तुम्हे पाना रब को पाना है
तुम्हे साथ ले इस जहाँ से दूर चले जाना है
जहाँ तुम और मैं
एक नया आशियाना बनायेंगे
अपनी प्यार भरी छोटी सी दुनिया बसायेंगे
~~~~~~पवन अरोडा~~~~~~~~
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment