jindadili jindgi ki aaj hai kal nahi hongi to yaadey kuch palo ko utaar dalta hun shbdo mai pata nahi kyun ....padhey v ray dai
Sunday, May 10, 2009
~~~~बादल~~~~~
तुम
मैं तलाशता हूँ तुम्हे मंजिल की तरह
छुप जाती हो देखते ही बादलो की तरह
क्या मैं तुम्हे पकड नहीं पाऊंगा
दिल की बात किसे बताऊंगा
जमाने वाले हसेंगे
मुझ पर कोई बात नहीं
क्या हुआ मैं दीवाना कहलाऊंगा
मेरे दीवाने पन का इम्तहान ना ले
तुझे क्या पता मैं कई रातो से नहीं सोया
तेरा चेहरा जो आँखों मैं बसा था
तुम्ही हो वो कल्पना
जिसे मन मे था संजो रखा
मेरे ह्रदय की तारो को झंकृत करने वाली मधुर संगीत हो तुम
मेरे खोये हुवे शब्दों की मोतियों की माला हो तुम
मैं तुम्हे इस जीवन रूपी माला मे पिरोना चाहता हूँ
मैं जमी से आसमान को छुना चाहता हूँ
मैं भी 'पवन' तेरे संग बादलो मैं खोना चाहता हूँ
~~~~~~पवन अरोडा~~~~~~~~~
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2 comments:
मैं तलाशता हूँ तुम्हे मंजिल की तरह
छुप जाती हो देखते ही बादलो की तरह
क्या मैं तुम्हे पकड नहीं पाऊंगा
दिल की बात किसे बताऊंगा
जमाने वाले हसेंगे
....bahut hi sunder hai
"मेरे ह्रदय की तारो को झंकृत करने वाली मधुर संगीत हो तुम
मेरे खोये हुवे शब्दों की मोतियों की माला हो तुम
मैं तुम्हे इस जीवन रूपी माला मे पिरोना चाहता हूँ
मैं जमी से आसमान को छुना चाहता हूँ "
आप के शब्दों की जादूगरी के क्या कहने ........
अति सुंदर रचना है ....
मेरे ह्रदय की तारो को झंकृत करने वाली मधुर रचना है ...
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