Thursday, January 22, 2009


अजीब घुटन अजीब चुभन
अजीब सी बैचेनी सी क्यूँ है
कुदरत के बन्दे ....
चेहरे पर यह उदासी क्यूँ है
मष्तिक मे हलचल आँखों मैं अँधेरा
सोच मैं गुमनामी सी क्यूँ है
क्या वक़्त की रफ़्तार ..
पंछी उड़ता पर कटे पंख क्यूँ है
तलाशती निगाहें जीने की राह
पर निगाहों मे पानी सा क्यूँ है
मन मे उठते तुफ्फान कदमो के निशान
पर मंजिल ओझल सी क्यूँ है
बोलने की चाह शब्दों का भंडार
पर शब्दों मे कपकपी सी क्यूँ है
~~~पवन अरोडा~~~~

1 comment:

Unknown said...

Hello Pawan ji... This is Setu Gupta from delhi.

Thanks for this nice poem-

what the wording really this is very nice -

"कुदरत के बन्दे ....
चेहरे पर यह उदासी क्यूँ है "

"क्या वक़्त की रफ़्तार ..
पंछी उड़ता पर कटे पंख क्यूँ है "