Sunday, January 25, 2009


आज इन बादलो ने बीते पलो मे उलझा दिया
जो भुला नहीं फिर उन्हे
याद दिला दिया
टप-टप के मोतियो ने
वही संगीत सुना दिया
बादलो के आने जाने से
मुझको ''पवन'' उलझा दिया
वह मधुर सी आवाज
जो कानो मे गूंजती आज
और बादल का ऐसा शर्माना
या कहू दिखाना और छुप जाना
उसको भी तुम्हारी तरह छुपना
फिर निकलना आ गया है
रह रह कर मे बादलो को देखता हूँ
शायद तुम यही कही हो
हसंता हूँ रोता हूँ
उन पलो को याद कर
फिर समेटता हूँ
चल पड़ता हूँ ...
उन राहों पर
जब हम चले थे कभी साथ साथ
~~~````पवन अरोडा````~~~

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