Tuesday, January 6, 2009

उड़ मेरे संग कल्पनाओं के दायरे मे


उड़ मेरे संग कल्पनाओं के दायरे मे
ख्यालो को और रंग जाने दे
जुल्फों के साए मे मुझे सो जाने दे
आँखों के समुन्दर मे मुझे डूब जाने दे
लबो को मुझ से टकराने दे
जो चिंगारी लगी उसे भुझ जाने दे
उठे तूफ़ान को शांत हो जाने दे
जितना करीब चाहती है मुझे पास आने दे
तू मेरा आईना मुझे अक्श बन जाने दे
दिलो की गहरइयो मे मुझे उतर जाने दे
बान्द बाह्नो मे मुझे दूर ना जाने दे
उड़ मेरे संग कल्पनाओं के दायरे मे
सपनो को सपनो मे रहने दे
उड़ने दे आसमान मे
मुझे ''पवन'' जमी पे ना आने दे
उड़ मेरे संग कल्पनाओ के दायरे मे
यह दिल की लगी इसे दिल मे ही रहने दे
इसे चिंगारी को बहार ना आने दे
रिश्तो की डोरों को ऊँगली ना उठाने दे
शोला जो बने उस चिंगारी को दिल मे ही रह जाने दे
~~~~~~~~पवन अरोडा~~~~~~~~~

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