Thursday, January 15, 2009


~~~प्यार स्वार्थ साथ~~~
इंसान क्यूँ झूट बोलता है
मे तुमसे प्यार करता हूँ
पर पर मे
हाँ मे खुद को प्यार करता हूँ
मैने अपने मन के द्वार खोले
उमंगो कि तरंगो को पढ़ा
अपना अस्तित्व ढूँढना चाहा
वह अपना ही सवार्थ निकला
तुम्हे चाहा अपने लिए सवार्थ
था आज मालुम पढ़ा .....
प्यार स्वार्थ साथ जीने के लिए
स्वार्थ साथ अपनी समाज मे
इज्ज़त के लिए
सच मे तुम्हे नहीं खुद को
प्यार करता हूँ
पर साथ रहने के लिए
बोलता हूँ कि मे तुम्हे प्यार
करता हूँ
सब एक दुसरे के साथ जीने
मरने कि कसमे खाते है
बहुत कम है जो कसमे निभाते है
पर जोर जोर से चिलाते है मे तुमसे
प्यार करता हूँ
पर मे नहीं बोलूँगा
अपनी शान अपनी पहचान
अपनी मन कि शान्ति
के लिए लड़ता हूँ .....
नहीं नहीं मे तुमसे नहीं मे खुद
को प्यार करता हूँ
~~~पवन अरोडा~~`

1 comment:

Anju (Anu) Chaudhary said...

प्यार एक एहसास है ......कोई जुबान नहीं
जो बात है दिल की .....उसके लिए जीना बुरी
बात तो नहीं .............(.आप ने जो भी लिखा वोह सच है आईना है जिन्दगी का )