Tuesday, January 6, 2009

प्रेम सत्य


जिस परकार औरत को रात्री के पहर शैया पर उसे उसकी देह के साथ संभोग कर उसे औरत होने का अहसास दिलाता है ..टिक उसी भांति ..इंसान प्रेम कर अपनी पहचान व् अहसास का अपना पन पता है अपने आप को इस करोडो लोगो मे से अलग पाता है
आप अपनी पहचान खुद खोजो नहीं तो भटक जाओगे
प्रेम सत्य ही अपनी पहचान है
अंत प्रेम ही अपनी पहचान है
==प्रेम ही इश्वर
प्रेम ही खुदा
प्रेम ही इबादत
प्रेम ही पूजा
प्रेम ही जिन्दगी
प्रेम ही विस्वाश
प्रेम ही हिम्मत
प्रेम ही जिन्दगी का सार
प्रेम ही मानवता
प्रेम ही राह
प्रेम ही मंजिल
==दिल भरकर प्रेम करना
==दिल भरकर जीना है
====और=====
हमेशा प्रेम करना
अपने आप को पाना है
+++ना उमर कि सीमा हो ना जन्म का हो बंधन +++
++++जब प्यार करो किसे तो देखो केवल मन +++++
~~~~~~~~~~~पवन अरोडा~~~~~~~~~~~~~~~~

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