Tuesday, January 6, 2009

~~~~waqt ka pal pal ~~~~



kaash ek din aisa bhi aaye, waqt ka pal pal tham jaaye !
''में भी कब से चुप बैठाहूँ
वह भी कब से चुप बहठी है
है यह मिलन की रसम अनोखी
है यह मिलन की रीत नई~~~
वो जब मुझ को देख रही थी
मेंने भी उस को देख लिया
बस इतनी सी बात थी
लेकिन बढते बढते इतनी बढ गयी !
~~~[pawan arora]~~~~

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